CBSE Class 10 History – Chapter 2: भारत में राष्ट्रवाद
यह पोस्ट अध्याय के detailed notes और पिछले वर्षों के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर दोनों को कवर करती है। इसे पढ़कर छात्र आसानी से परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं।
1. पहला विश्व युद्ध, खिलाफत और असहयोग आंदोलन
पहला विश्व युद्ध (1914-1918) और भारत:
- भारत ने ब्रिटिश सरकार के लिए लगभग 10 लाख सैनिक और संसाधन भेजे।
- युद्ध के कारण महंगाई बढ़ी और किसानों पर टैक्स बढ़ा।
- भारतीय जनता ने सोचा कि युद्ध में मदद करने के बाद उन्हें राजनीतिक अधिकार मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
खिलाफत आंदोलन:
- तुर्क साम्राज्य के पतन के विरोध में मुसलमानों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।
- महात्मा गांधी ने हिंदू और मुसलमानों को जोड़कर इसका समर्थन किया।
- इससे हिंदू-मुस्लिम एकता बढ़ी और असहयोग आंदोलन की नींव पड़ी।
असहयोग आंदोलन (1920-1922):
- लक्ष्य: ब्रिटिश शासन का शांतिपूर्ण विरोध।
- प्रमुख गतिविधियाँ: स्कूल, कॉलेज, सरकारी नौकरियों और ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार।
- लाखों लोग इसमें शामिल हुए, विशेषकर युवा और किसान।
- 1922 में हिंसा बढ़ने के कारण आंदोलन रोक दिया गया।
2. सत्याग्रह और रॉलैट एक्ट
- सत्याग्रह: सत्य और अहिंसा के माध्यम से विरोध। गांधी जी ने इसका प्रयोग ब्रिटिश कानूनों और अन्याय के खिलाफ किया।
- रॉलैट एक्ट (1919): किसी को बिना ट्रायल के गिरफ्तार किया जा सकता था। इसका विरोध महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने किया।
3. शहरों और ग्रामीण इलाकों में आंदोलन
- चंपारण सत्याग्रह (1917): बिहार के किसानों के अधिकारों के लिए।
- खेड़ा सत्याग्रह (1918): गुजरात के किसानों के कर और प्राकृतिक आपदाओं के विरोध में।
- किसान और मजदूर आंदोलन में शामिल हुए, जिससे ब्रिटिश सरकार पर दबाव पड़ा।
4. नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन
- नमक सत्याग्रह (1930): साबरमती आश्रम से दांडी तक पैदल मार्च, समुद्र से नमक बनाना और ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन: अहिंसात्मक विरोध के माध्यम से ब्रिटिश कानूनों का उल्लंघन। इससे जनता में राजनीतिक जागरूकता बढ़ी।
5. महिलाओं, मजदूरों और किसानों की भूमिका
- महिलाएँ: मार्च, प्रदर्शन और सत्याग्रह में सक्रिय। प्रमुख नेता: सरोजिनी नायडू, अरुंधति देवी।
- मजदूर: हड़ताल और विरोध प्रदर्शन।
- किसान: कर और भूमि के अन्याय के खिलाफ आंदोलन।
6. राष्ट्रीयता की भावना और एकता
- धर्म, जाति और भाषा की सीमाओं से ऊपर उठकर एकता।
- राष्ट्रीय प्रतीक: भारत माता की छवि, राष्ट्रीय ध्वज, "वन्दे मातरम्"।
- इससे देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना बढ़ी।
7. प्रमुख व्यक्ति
- महात्मा गांधी – सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत को आंदोलन में लागू किया।
- सरोजिनी नायडू – महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की।
- स्थानीय नेता – चंपारण और खेड़ा में किसानों को संगठित किया।
8. महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ
तिथि | घटना |
---|---|
1914-1918 | पहला विश्व युद्ध |
1919 | रॉलैट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड |
1920 | असहयोग आंदोलन शुरू |
1922 | असहयोग आंदोलन समाप्त (हिंसा के कारण) |
1930 | नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) शुरू |
9. महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
9. महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
1. संक्षिप्त उत्तर प्रश्न (2-3 अंक)
Q1. रॉलैट एक्ट क्या था और इसके खिलाफ किसने आंदोलन चलाया?
उत्तर: रॉलैट एक्ट 1919 में लागू हुआ था। इसके तहत किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल और बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार किया जा सकता था। इस कानून के खिलाफ महात्मा गांधी ने सत्याग्रह और शांतिपूर्ण विरोध का नेतृत्व किया। इससे जनता में ब्रिटिश सरकार के प्रति विरोध और राजनीतिक जागरूकता बढ़ी।
Q2. गांधीजी ने सत्याग्रह की शुरुआत कब और कहाँ की?
उत्तर: महात्मा गांधी ने पहली बार सत्याग्रह 1917 में चंपारण, बिहार में किया। यह आंदोलन किसानों के अधिकारों और जुल्मी जमींदारों के खिलाफ था। गांधी जी ने इसे अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण तरीके से किया।
Q3. दांडी मार्च का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: दांडी मार्च 1930 में शुरू हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश नमक कानून का विरोध करना और आम जनता को आंदोलन में भाग लेने के लिए जागरूक करना था। गांधी जी और उनके अनुयायियों ने साबरमती आश्रम से दांडी तक लगभग 390 किलोमीटर पैदल यात्रा की और समुद्र से नमक बनाया।
Q4. जलियांवाला बाग हत्याकांड का महत्व?
उत्तर: 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग में ब्रिटिश फौज ने निर्दोष लोगों पर गोली चलाई। इस घटना ने लोगों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ गुस्सा पैदा किया और राष्ट्रीय आंदोलन को नई ऊर्जा दी। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
Q5. असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ और क्यों समाप्त हुआ?
उत्तर: असहयोग आंदोलन 1920 में शुरू हुआ। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन का शांतिपूर्ण विरोध करना था। लाखों लोग इसमें शामिल हुए। 1922 में चूरू में हिंसा फैलने के कारण गांधी जी ने आंदोलन को रोक दिया, क्योंकि उनका मानना था कि आंदोलन का अहिंसात्मक स्वरूप बना रहना चाहिए।
Q6. खिलाफत आंदोलन क्या था?
उत्तर: खिलाफत आंदोलन मुस्लिमों का तुर्क सुल्तान के समर्थन में आंदोलन था। गांधी जी ने इसे समर्थन दिया ताकि हिंदू और मुसलमान एक साथ होकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एकजुट हो सकें। इस आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में धार्मिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया।
2. लघु उत्तरीय प्रश्न (4-5 अंक)
Q1. सत्याग्रह के मूल सिद्धांत क्या हैं? उदाहरण दें।
उत्तर: सत्याग्रह के मुख्य सिद्धांत हैं – सत्य और अहिंसा। इसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है, लेकिन हिंसा का सहारा नहीं लेता। उदाहरण: चंपारण सत्याग्रह (1917) और खेड़ा सत्याग्रह (1918) में गांधी जी ने किसानों के अधिकारों के लिए अहिंसात्मक आंदोलन किया।
Q2. गैर-सहयोग आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ और परिणाम?
उत्तर: गैर-सहयोग आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ थीं – स्कूल, कॉलेज, सरकारी नौकरियों और ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार, ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार, और जनता में राजनीतिक जागरूकता फैलाना। परिणामस्वरूप लाखों लोग इसमें शामिल हुए, युवाओं और किसानों की भागीदारी बढ़ी, और ब्रिटिश शासन पर दबाव पड़ा।
Q3. दांडी मार्च के दौरान क्या-क्या गतिविधियाँ हुईं?
उत्तर: गांधी जी और उनके अनुयायियों ने साबरमती आश्रम से दांडी तक पैदल यात्रा की, रास्ते में लोगों को आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने समुद्र से नमक बनाया, ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन किया और अहिंसात्मक विरोध का संदेश फैलाया।
Q4. किसानों और मजदूरों ने आंदोलन में कैसे भाग लिया?
उत्तर: किसान चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह में शामिल हुए और कर तथा जमींदारी अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। मजदूरों ने हड़ताल, प्रदर्शन और विरोध कार्यक्रमों में भाग लिया, जिससे राष्ट्रीय आंदोलन और मजबूत हुआ।
Q5. जलियांवाला बाग नरसंहार के कारण और प्रभाव?
उत्तर: जलियांवाला बाग नरसंहार रॉलैट एक्ट के विरोध में आयोजित शांतिपूर्ण सभा पर हुआ। इस घटना ने लोगों में गुस्सा और ब्रिटिश शासन के प्रति अविश्वास पैदा किया। इसके बाद राष्ट्रीय चेतना बढ़ी और ज्यादा लोग स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।
3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (8-10 अंक)
Q1. असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन की भूमिका?
उत्तर: असहयोग आंदोलन (1920-22) और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) ने अहिंसात्मक तरीके से जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट किया। दोनों आंदोलनों ने राजनीतिक जागरूकता बढ़ाई, युवाओं और महिलाओं की भागीदारी को प्रेरित किया, और राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक बनाया।
Q2. सत्याग्रह के सिद्धांतों के प्रमुख उदाहरण?
उत्तर: चंपारण सत्याग्रह (1917), खेड़ा सत्याग्रह (1918) और नमक सत्याग्रह (1930) प्रमुख उदाहरण हैं। इन आंदोलनों में गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत का पालन करते हुए जनता को संगठित किया और ब्रिटिश कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध किया।
Q3. महिलाओं का योगदान? उदाहरण सहित।
उत्तर: महिलाओं ने मार्च, प्रदर्शन और सत्याग्रह में सक्रिय भाग लिया। सरोजिनी नायडू जैसे नेताओं ने महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की। दांडी मार्च में कई महिलाएँ शामिल हुईं और किसानों तथा मजदूरों के आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
Q4. जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद आंदोलन में बदलाव?
उत्तर: इस नरसंहार के बाद जनता में गुस्सा और राजनीतिक चेतना बढ़ी। अधिक लोग स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए, और आंदोलन का स्वरूप और भी व्यापक और संगठित हो गया।
4. मूल्यांकनात्मक प्रश्न (प्रोजेक्ट/निबंध)
Q1. "भारत में राष्ट्रवाद ने विभिन्न जाति, धर्म और भाषा के लोगों को एकजुट किया।"
उत्तर: असहयोग आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह, दांडी मार्च ने सभी वर्गों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाकर राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया। इन आंदोलनों ने दिखाया कि भारतीय राष्ट्रीयता किसी धर्म या जाति तक सीमित नहीं थी।
Q2. महात्मा गांधी के सत्याग्रह सिद्धांत का आधुनिक परिप्रेक्ष्य:
उत्तर: गांधी जी के सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत आज भी सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के लिए लागू किए जा सकते हैं। जैसे भ्रष्टाचार, पर्यावरण की सुरक्षा, जाति या लिंग आधारित अन्याय आदि के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलनों में। यह सिद्धांत लोगों को बिना हिंसा किए बदलाव लाने का मार्ग दिखाता है।